सफलता की क्या चुकानी होगी कीमत? Sandip Agrawal Talks

सफलता की क्या चुकानी होगी कीमत?

आजकल के भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में हम सफलता के इतने ललाईत हो गए है कि हमें हर हाल में सफलता चाहिए ही होती है लेकिन उस सफलता या सकस्से के लिए हम कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार होते है। चाहे हमारी हेल्थ हो या हमारी मानसिक स्थिति किसी पर हम कोई ध्यान ही नहीं देते। बस सफलता के लिए आगे बढ़ते रहते है लेकिन कभी कही रुकर हमे सफलता को सेलिब्रेट तो करना चाहिए। इसकी वजह से युवाओ को बहुत साडी बीमारिया हो रही है। युवक युवतिया गंभीर बीमारियों का शिकार हो रही है। क्युकी मॉडल लाइफ में हमे इतनी सुविधाएं मिल रही जिसकी वजह से हम शारीरिक एक्टिवटी बहुत कम हो गई है। इसलिए आज के ज़िंदगी में हमे मिलने वाली सुविधाएं ही हमे बीमार करने लगी है।

जैसे एंजाइटी,डिप्रेस्शन,कैंसर और ब्लड प्रेससर पहले ये बीमारिया युवाओ में सुनने के लिए भी नहीं मिलती थी लेकिन अभी के टाइम ऐसा हो गया है सायद ही कोई ऐसा हो जिसको कोई बीमार न हो या  कोई हेल्थ प्रॉब्लम ना हो। लेकिन इतनी बीमारीयो की वजह क्या है? तो जवाब यह की आजकल के युवा सफलता की आने वाले भविष्य के लिए दिन रात सोच बहुत रहे। इसकी वजह से उनपर बहुत दबाव बन रहा है। पहले के युवा और किसान जो इतनी महेनत करते थे लेकिन उनको कोई बीमारिया नहीं होती थी आपके देखे तो हमारे दादा या पिता जी की पीढ़ियों में बीमारिया नहीं होती थी लेकिन आजकल ये सब बीमारिया आम हो गई है। हर दूसरा व्यक्ति इन बीमारियों से पीड़ित है।

हम अपने इमोसशन को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहे है। और मानसिक दबाव में जी रहे।

आजकल हमने शिक्षा या पढाई वाला सारा ज्ञान ले लिया लेकिन वैचारिक ज्ञान नहीं होने की वजह से हम आपने आप पर नियंत्रण नहीं कर ही नहीं रहे है।

आजकल युवा सेल्फ मेडिशन की ओर जा रहे खुद ही डॉक्टर बन रहे और कोई भी हूल जुलु दवाईया खा रहे।

सफलता की कीमत किस प्रकार चुकाई जा रही?

आजकल घरों में एक या दो ही बच्चे होते हैं, और माता-पिता की सारी उम्मीदें उन्हीं पर होती हैं। उनसे 100% सफलता की अपेक्षा की जाती है, जिससे बच्चों पर अत्यधिक मानसिक दबाव पड़ता है। श्री संदीप अग्रवाल जी कहते हैं कि यह दबाव बच्चों की खुशी और आत्मविश्वास को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इसलिए जरूरी है कि हम सफलता के साथ-साथ उनके सुख और संतुलन का भी ध्यान रखें।

  1. आपको क्लास में फ़स्ट आना ही है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है हर बच्चा  फस्ट ही आये। लेकिन माँ बाप को सब सफलता चाहिए बिना सोचे समझे।
  2. सफलता का दबाव इतना ज्यादा हो गया है बच्चो को नई नई कोचिंग क्लास,विदेशो और अपने से दूर दूसरे शहरो में भेज देते है जहा उनका कोई ध्यान रखने वाला नहीं है।
  3. इन सब की वजह से वह अपना बचपन या अपनी लाइफ को इन्जॉय ही नहीं कर रहे। जिससे नई नई मानसिक बीमारिया जन्म ले रही।
  4. क्युकी आप देखेगए की पढ़े लिखे और अनपढ़ लोगो की तुलना पड़ेंगे तो अनपढ़ लोग स्वस्थ है।
  5. हम सब सफलता की दौड़ भाग में हेल्थ पर ध्यान ही नहीं रहे तो स्वभाविक है की बीमारिया तो होगी।
  6. हम ह्यूमन नेचर के खिलाप जा रहे। जैसे शाम को जल्दी सोना सुबह जल्दी उठना ये सब हम कर ही नहीं बल्कि हम इसका पूरा उल्टा कर रहे है लेट नाईट सोना सुबह देर से उठना और उठते भी सफलता के भागते रहना।
  7. इस भागम भाग में हम रही रुक ही नहीं रहे है। थोड़ा तो ठहर कर सोचने की जरुरत है कि हम कर क्या रहे है।
  8. वही हम सफलता के साथ भी कर रहे आज बड़ी गाढ़ी फिर कल उससे बड़ी गाढ़ी,वैसे घर फिर उससे भी बड़ा घर।
  9. थोड़ा ठहराव भी जरुरी और अपने पर ध्यान देना भी बहुत जरुरी है।
  10. हमने सारी सफलताएं हासिल कर भी ली तो उससे सेलेब्रेट करने के लिए हमने हेल्थी बने रहना भी जरुरी है।